आनुवंशिकता एवं जैव विकास (Heredity and Evolution Class 10 Science in Hindi) कक्षा 10 notes , Class 10 science chapter 9 notes in hindi. सभी नोट्स अनुभवी अध्यापकों द्वारा तैयार किए गए हैं और सभी बोर्ड की परीक्षाओं के लिए और प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए उपयोगी है।
आनुवंशिकी (Genetics)
माता-पिता (Parents) से सन्तानों (Offspring )में पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशागत (Transmission of characters) होने वाले लक्षणों को आनुवंशिक लक्षण (Hereditary Characters) कहते हैं। जनकों (Parents) से संतति( Offspring ) में इन लक्षणों के स्थानान्तरण (Transmission of Characters) को आनुवंशिकता (Heredity) कहते हैं। सन्तानें(Offspring) पूर्ण रूप से अपने जनकों (माता-पिता- Parents) के समान नहीं होतीं, इनमें विभिन्नताएँ (Variations) भी पाई जाती हैं । जीव विज्ञान (Biology)की वह शाखा जिसके अंतर्गत हम हेरिडिटी(Heredity) तथा विभिन्नाताओं (Variations) के बारे में अध्ययन करते हैं आनुवंशिकी (Genetics) कहलाती है।जोहान्सन (1905 ई.) ने सर्वप्रथम जीन शब्द का प्रयोग किया। सर्वप्रथम जेनेटिक्स नाम का उपयोग डब्ल्यू वाटसन ने 1905 में किया था। ग्रेगर जान मेण्डल को आनुवंशिकी का पिता कहते हैं। मेण्डल ने अपना प्रयोग मटर (Pisum sativum) के पौधे पर किया था।
भिन्नता (variations)
विभिन्नता (Variation) एक स्पीशीज के विभिन्न जीवों के शारीरिक अभिकल्प (Design) और डी.एन.ए. (D.N.A.)में अंतर विभिन्नता कहलाता है।
विभिन्नताओं के प्रकार :- विभिन्नताएं दो प्रकार की होती है
जननिक (Germinal)
कायिक (Somatic)
जननिक (Germinal) विभिन्त्रता :- ऐसी विभिन्नताएं जनन कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन के कारण होती है। यह भिन्नताएं वंशागत होती हैं और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंच जाती हैं।जैसे आँखों एवं बालों का रंग, शरीर की लम्बाई इत्यादि ।
कायिक (Somatic):- इस तरह की भिन्नताएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत नहीं होती ।इस तरह की भिन्नताएं विभिन्न जीवो द्वारा उपार्जित की जाती हैं । ऐसी भित्रता कई कारणों से हो सकती है जैसे-जलवायु एवं वातावरण का प्रभाव, उपलब्ध भोजन के प्रकार इत्यादि।
ग्रेगर जॉन मेंडल प्रयोग (Gregor Johann Mendel Experiment)
ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Johann Mendel) को आनुवंशिकी का पिता (father of genetics) कहा जाता है । मेंडल सिलिसिया(Silisian) गांव में सन् 1822 ईस्वी में एक किसान परिवार में पैदा हुए थे यह गांव ब्रून(Brunn) शहर में आता है जो कि ऑस्ट्रिया(Austria) नामक देश में है। ग्रेगर मेंडल ने सात वर्षों (1856-1863) के लिए उद्यान मटर(Garden Pea Plant) पर संकरण प्रयोग किए। मेंडल ने अपने प्रयोग में साधारण मटर के पौधों का चयन किया
मटर के पौधे में 7 लक्षण(Seven Different Traits of Pea plant)
मटर के आकार (गोल या झुर्रीदार)
मटर का रंग (हरा या पीला)
फली का आकार (संकुचित या फूला हुआ)
फली का रंग (हरा या पीला)
फूल का रंग (बैंगनी या सफेद)
पौधे का आकार (लंबा या बौना)
फूलों की स्थिति (अक्षीय या टर्मिनल)
मटर के पौधे का चयन ही क्यों (Reasons for selecting pea plant)
मटर आसानी से उग आती थी।
मटर में 7 जोड़ी (14) क्रोमोसोम होते हैं।
उनके बगीचे में शुद्ध नसल मटर की उपस्थित थीं।
मटर के पौधे में सारे लक्षण आसानी से दिखाई देते हैं।
यह एक वर्षीय पौधा है और इसकी जीवन अवधि लगभग 3 महीने होती है अतः परिणाम जल्दी आ जाता है।
मटर की जिंदगी छोटी थी और मेंडल बहुत-सी पीढ़ियों का अध्ययन कर सकते थे।
सफल परागण (pollination)के बाद बहुत अधिक मात्रा में बीज(seeds) उत्पन्न होते हैं।
मटर के पौधे में द्विलिंगी(bisexual) पुष्प उपस्थित होते हैं।
एकल संकरण (Monohybrid Cross)
मटर के दो पौधों के एक जोड़ी विकल्पी लक्षणों के मध्य क्रास संकरण को एकल संकर क्रास कहा जाता है। उदाहरण :- लंबे पौधे तथा बौने पौधे के मध्य संकरण।
प्रथम संतति ( F1 Generation), में कोई पौधा बीच की ऊँचाई का नहीं था। सभी पौधे लंबे थे। इसका अर्थ था कि दो लक्षणों में से केवल एक पैतृक जनकीय लक्षण ही दिखाई देता है।
(F2 Generation) में 3/4 लंबे पौधे वे 1/4 बौने पौधे थे।
फीनोटाइप(Phenotype Ratio) F2 – 3:1{ (3 लंबे पौधे(Tall Plants) : । बौना पौधा(Short Plants)}
जीनोटाइप(Genotype Ratio) F2 – 1:2:1 (TT, Tt, Tt. tt)
वंशानुक्रम के नियम (laws of inheritance)
प्रभाविता का नियम(Law of Dominance)
विसंयोजन का नियम(Law of Segregation)
स्वतंत्र अप्व्युहन का नियम(Law of of Independent Assortment)
प्रभाविता का नियम (Law of Dominance):- जब मेंडल ने भिन्न भिन्न लक्षणों वाले समयुग्मजी पादपों में जब संकर संकरण करवाया तो इस क्रॉस में मेंडेल ने एक ही लक्षण प्रदर्शित करने वाले पादपों का ही अध्ययन किया। तो उसने पाया कि एक प्रभावी लक्षण (dominant characteristics)अपने आप को अभिव्यक्त(Express) करता है। और एक अप्रभावी लक्षण (Recessive traits) , अपने आप को छिपा(Do not express) लेता है। इसी को प्रभाविता कहा गया है और इस नियम को मेंडल का प्रभाविता का नियम कहा जाता है।
पृथक्करण का नियम/विसंयोजन का नियम(Law of Segregation)
पृथक्करण का नियम / विसंयोजन का नियम / युग्मकों की शुद्धता का निमय :- युग्मक निर्माण(Gamates formation) के समय दोनों युग्म विकल्पी अलग हो जाते है। अर्थात् एक युग्मक में सिर्फ एक विकल्पी हो जाता है। इसलिए इसे पृथक्करण का नियम कहते है। युग्मक किसी भी लक्षण के लिए शुद्ध होते है।
Dihybrid Cross द्विसंकर संकरण
डायहाइब्रिड क्रॉस(Dihybrid Cross) को द्विसंकर संकरण भी कहा जाता है इसमें दो इकाई लक्षणों का अध्ययन किया जाता है।
स्वतंत्र अप्व्युहन का नियम(Law of of Independent Assortment)
यह नियम द्विसंकर संकरण के परिणामों पर आधारित है। इस नियम के अनुसार किसी द्विसंकर संकरण में एक लक्षण की वंशगति दूसरे लक्षण की वंशागति से पूर्णतः स्वतंत्र होती है। अर्थात् एक लक्षण के युग्मा विकल्पी दूसरे लक्षण के युग्मविकल्पी से निर्माण के समय स्वतंत्र रूप से पृथक व पुनव्यवस्थित होते है। इसे में लक्षण अनुपात 9:3:3:1 होता है।
मानव में लिंग निर्धारण ( sex determination of child)
कुछ प्राणियों जैसे कि मानव में लिंग निर्धारण लिंग सूत्र पर निर्भर करता है। XX (Females sex chromosomes) (मादा) तथा XY (Males sex chromosomes) (नर) मानव के प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र(chromosomes) पाए जाते हैं जिसमें 22 जोड़े को अलिंग गुणसूत्र (Autosomes) तथा अंतिम 23वें जोड़ा को लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes) कहते हैं। द्विगुणित अवस्था में मादा का लिंग गुणसूत्र XX तथा नर का लिंग गुणसूत्र XY होते है। नर के इन्हीं गुणसूत्रों के द्वारा मानव में लिंग निर्धारण होता है।प्रत्येक अंडे में एक X लिंग गुणसूत्र होता है; एक शुक्राणु में X या Y लिंग गुणसूत्र हो सकता है। यदि अंडे को निषेचित करने वाले शुक्राणु में X गुणसूत्र है, तो बच्चा मादा है; यदि इसमें Y गुणसूत्र है, तो बच्चा लड़का होगा।