control and coordination( नियंत्रण एवं समन्व) -Class 10 Science Notes in Hindi medium.
तंत्रिका तंत्र (Nervous System)
तंत्रिका कोशिकाओं से निर्मित अंगों का समूह जो कि शरीर में नियंत्रण (Control), संचालन (Conduction) एवं समन्वय (Co-ordination) का कार्य करता है तंत्रिका तंत्र कहलाता है।सरल बहुकोशिकीय जीवों में( Human Animals) नियंत्रण और समन्वय केवल तंत्रिका तंत्र के माध्यम से होता है जो हमारे शरीर की गतिविधियों का समन्वय करता है। यह हमारे सभी कार्यों, सोच और व्यवहार के लिए नियंत्रण प्रणाली है। हमारा हर एक संदेश तंत्रिका तंत्र के माध्यम से ही हमारे दिमाग तक पहुंचता है
तंत्रिका (Nerves)
किसी जीव के शरीर में तंत्रिका ऐसे रेशे को कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के एक स्थान से दूसरे स्थान तक संकेत भेजे जाते हैं। मनुष्य शरीर में तंत्रिकाएँ शरीर के लगभग हर भाग को मस्तिष्क (Brain) व मेरूरज्जु (Spinal cord) से जोड़कर उनमें आपसी संपर्क रखतीं हैं। तंत्रिका शरीर के भीतर एक केबल जैसी संरचना है जो तंत्रिका आवेगों को संचालित करने के लिए डिज़ाइन की गई है जो शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक जानकारी प्रसारित करती है।
उद्दीपक//अनुक्रिया
उद्दीपक (stimulus)– पर्यावरणीय परिस्थितियों में होने वाले परिवर्तन, जिन पर जीव प्रतिक्रिया करते हैं, उद्दीपक (stimulus) कहलाते हैं
अनुक्रिया( Response)– वातावरण में उत्पन्न स्थिति के अनुसार उसे पर आचरण करना
ग्राही( receptors)
पर्यावरण से सभी सूचना तंत्रिका तंत्र तक ज्ञानेन्द्रियों द्वरा पहुंचती है।
ज्ञानेन्द्रियों में तंत्रिका कोशिका के विशिष्ट शिरे होंतें है जिसे ग्राही कहतें है।
A. आँख प्रकाश ग्राही दृष्टि के लिए
B. कान श्रवण ग्राही सुनाने के लिए
C. जीभ रस संवेदी ग्राही स्वाद के लिए
D. नाक प्राण ग्राही सूंघने के लिए
E. त्वचा स्पर्श ग्राही ऊष्मा को महसूस करने के लिए
तंत्रिका तंत्र (Nervous System) के प्रकार
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र(Central Nervous परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System)System)
स्वचालित तंत्रिका तंत्र (Autonomous Nervous System)
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) –
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र स्वयं की एवं पूरे शरीर की तंत्रिकाओं पर नियंत्रण करता है। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र 2 भागों से मिलकर बना होता है । सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र) को शरीर की सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के रूप में भी जाना जाता है। यह सूचना प्रसंस्करण और नियंत्रण की साइट है। केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र बहुकोशिकीय जन्तुओं की सभी क्रियायों पर नियंत्रण और नियमन करता है
Neuron तंत्रिका कोशिका के प्रकार
- संवेदी तंत्रिका कोशिकाएं (Sensory nerve cells): ये आवेग को संवेदग्राही अंगों (संवेदी अंग) से मुख्य केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क तथा मेरु-रज्जु) तक पहुंचाती है।
- प्रेरक तंत्रिका कोशिकाएं (Motor neurons): ये आवेग को केंद्रीय तंत्रिका तंत्र से प्रभावकर्ताओं (मांसपेशियों एवं ग्रंथियों) तक ले जाती है।
- संयोजी तंत्रिका कोशिकाएं (Connecting neurons): मस्तिस्क में स्थित होती हैं जो संवेदी प्रेरक तंत्रिका कोशिकाओं को जोड़ती है।
Voluntary and Involuntary actions स्वैच्छिक क्रिया //अनैच्छिक क्रिया
स्वैच्छिक क्रिया ( voluntary actions)-वह कार्य जो किसी की इच्छा के नियंत्रण में होता है, स्वैच्छिक क्रिया कहलाता है।
अनैच्छिक क्रिया ( involuntary actions)– वह क्रिया जो किसी की इच्छा के नियंत्रण में नहीं होती, अनैच्छिक क्रिया कहलाती है।
प्रतिवर्ती क्रिया( Reflex Action)
प्रतिवर्ती क्रिया( Reflex Action) किसी उद्दीपन के प्रति तेज व अचानक की गई अनुक्रिया प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है। प्रतिवर्ती क्रियाएँ मस्तिष्क(brain) के द्वारा परिचालित नहीं होती | ये मेरु रज्जु (Spine Cord)के द्वारा नियंत्रित पेशियों की अनैच्छिक क्रियाएँ होती हैं जो प्रेरक की अनुक्रिया में होती हैं | उत्तेजना के जवाब में एक अनैच्छिक और लगभग तात्कालिक गतिविधि(immediate Action) है I बाहरी वातावरण में अचानक बदलाव के प्रति बिना सोचे-समझे होने वाली अनुक्रिया है
उदाहरण : किसी गर्म वस्तु को छूने पर हाथ को पीछे हटा लेना।
प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc)
प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc) – तंत्रिकाओं द्वारा अनुसरण किया जाने वाला मार्ग है. यह रास्ता, रिसेप्टर से रीढ़ की हड्डी तक संवेदी जानकारी ले जाता है. फिर, रिफ़्लेक्स क्रिया के दौरान रीढ़ की हड्डी द्वारा उत्पन्न प्रतिक्रिया को प्रभावकारी अंगों तक ले जाता है
मानव मस्तिष्क( Human Brain) – केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का भाग होते हैं यह शरीर की समस्त जानकारी एकत्रित रखते हैं।मानव मस्तिष्क 100 बिलियन न्यूरॉन कोशिकाओं से मिलकर बनता है परंतु 15 बिलियन कोशिकाएं ही जागरूक रहती है। Normal weight of brain, पुरुष। : 1400 ग्राम महिला : 1100 ग्राम
मस्तिष्क के भाग
मस्तिष्क तंत्रिका तंत्र का Control and Command Centre है यह विभिन्न सूचनाओं की प्रतिक्रिया हेतु निर्देश देता है । यह कपाल (cranium नाम के खोल में स्थित होता है मस्तिस्क का भार 1300-1400 ग्राम होता है
Fore Brain (अग्र मस्तिष्क) – अग्र मस्तिष्क “Prosencephalon” (प्रोसेनसेफेलॉन)
Midbrain (मध्य मस्तिष्क) – मध्य मस्तिष्क “Mesencephalon” (मेसेन्सेफेलॉन)
Hindbrain (पश्च मस्तिष्क) – पश्च मस्तिष्क “Rhombencephalon” (रोम्बेंसफेलॉन)
Fore Brain (मध्य मस्तिष्क) (अग्र मस्तिष्क) ) सबसे बड़ा होता है तथा Mid Brain (सबसे छोटा।
Cerebral Hemisphere-प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध
Cerebrum यह मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग होता है और यह राइट और लेफ्ट सेरेब्रल हेमिस्फीयर में बटा रहता है यह दोनों सेरेब्रल हेमिस्फीयर आपस में अंदर से कॉरपस्कुलर के द्वारा जुड़े रहते है
सेरेब्रम (Cerebrum) चार भागों (Sections) में बाँटा होता है, इन Sections को “Lobes” कहा जाता है
(1) Frontal Lobe
(2) Parietal Lobe
(3) Temporal Lobe
(4) Occipital Lobe
Mid brain (मध्य मस्तिष्क)
यह मस्तिष्क का सबसे छोटा भाग होता है। यह हमारे 2 ज्ञानेन्द्रियों (sense organs) आँख और कान (eyes and ear) का नियंत्रण करता है। Midbrain (मध्य मस्तिष्क) को 6th Sense भी कहा जाता है।
कॉर्पोरा क्वाड्रिजेमिना (Corpora quadrigemina)
यह दृष्टि एवं श्रवण शक्ति का केन्द्र होता है (center of vision and hearing power)
सेरीव्रल पेंडिकल (Cerebral pendical)
यह दिमाग के अन्य भागों को मेरुरज्जू (spinal cord) से जोड़ता है।
पश्चमस्तिष्क (Hind Brain)– Medulla के कार्य
ऐसी अनैच्छिक क्रियाएं (involuntary functions) जो जैविक गतिविधि (biological activity) के लिए आवश्यक हैं, मेड्यूला (Medulla) द्वारा नियंत्रित होती हैं। जैसे – दिल की धड़कन (heartbeat), श्वसन (respiration), पाचन (digestion)
ऐसी अनैच्छिक क्रियाएं (involuntary functions) जो अगर ना भी हो तो शरीर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, ये भी मेड्यूला (Medulla) द्वारा नियंत्रित होती हैं। जैसे – जम्हाई लेना (yawn), खाँसी (cough), छींकना (sneezing), खर्राटा (snore), डकार (burp)
परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral nervous system)
परिधीय तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क व मेरुरज्जू से निकलने वाली तंत्रिकाओं (nerves) का बना होता है जिन्हें क्रमश; कपालीय तंत्रिकाएं एवं मेरुरज्जु तंत्रिकाएं कहते हैं | मनुष्य एम् 12 जोड़ी कपालीय तंत्रिकाएं एवं 31 जोड़ी मेरुरज्जु तंत्रिकाएं होती है
स्वचालित तंत्रिका तंत्र (Autornomic Nervous system):
तंत्रिका तंत्र के उस भाग को, जो शरीर के भीतर प्राण मूलक (Vital) अंगों, जैसे- हृदय, अमाशय, छोटी आँत, बड़ी आँत, वृक्क (गुर्दा), मूत्राशय, गर्भाशय, ग्रंथियों और रक्त वाहिकाओं को स्वतः चालित और नियंत्रित करता है, उसे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहते हैं। स्वायत्त तंत्रिका तंत्र की नियंत्रण मस्तिष्क के हाइपोथैलमस भाग द्वारा होता है। यह शरीर के सभी आंतरिक अंगो व रक्त वाहिनियों को तंत्रिकाओं की आपूर्ति करता है |
अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र Sympathetic nervous system
परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र Parasympathetic nervous system
पादप हॉर्मोन्स( Plant Harmons) – वे जटिल कार्बनिक पदार्थ हैं जो पेड़-पौधों में निश्चित स्थानों पर बनते हैं तथा वहाँ से संवहन ऊतकों द्वारा पौधों के विभिन्न भागों में स्थानान्तरित होकर उनकी वृद्धि एवं उपापचयी (metabolic) क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
पादप हार्मोन्स के प्रकार
(A) वृद्धि सहायक हॉर्मोन्स
(B) वद्धिरोधक हॉर्मोन्स
अनुवर्तन( Tropism)- पौधो के भागो का उद्दीपन( Stimulus) के दिशा में गति करना अनुवर्तन कहलाता है।
प्रकाशानुवर्तन ( Phototropism) : प्रकाश की तरफ गति।
गुरुत्वानुवर्तन( Geotropism) : पृथ्वी की तरफ या दूर गति।
रासायनानुवर्तन (Chemotropism): पराग नली की अंडाशय की तरफ गति।
जलानुवर्तन ( Hydrotropism) : पानी की तरफ जड़ों की गति।
(A) वृद्धि सहायक हॉर्मोन्स- - ऑक्सिन्स (Auxins)
2- जिबरेलिन्स (Gibberellins)
3- साइटोकाइनिन्स (Cytokinins)
(B) वद्धिरोधक हॉर्मोन्स –
1- ऐब्सिसिक अम्ल (ABA)
2- एथिलीन (Ethylene)
पादप हॉर्मोन (Plant Hormones) ऑक्सिन्स (Auxins)
ये पौधों की अनुवर्तनी (प्रकाशानुवर्तन तथा गुरुत्वानुवर्तन) गतियों पर नियंत्रण रखते हैं।
गुरुत्वानुवर्तन
(i) धनात्मक गुरुत्वानुवर्तन ((Positive geotropism)
(ii) ऋणात्मक गुरुत्वानुवर्तन (Nagative geotropism)
प्रकाशानुवर्तन
(i) धनात्मक प्रकाशानुवर्तन (Positive phototropism) (ii) ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन (Negative phototropism)
पादप हॉर्मोन (Plant Hormones) जिबरेलिन (Gibberellin)
पौधे की लम्बाई व पुष्प उत्पति में सहायक इसकी कमी से पौधे में बौनापन होता है।ये पौधों की लम्बाई बढ़ाने में सहायक हैं। जिबरेलिन के द्वारा पर्वो (internodes) की कोशिकाओं की लम्बाई तेजी से बढ़ने लगती है, जिसे बोल्टिंग (bolting) कहते हैं।
पादप हॉर्मोन (Plant Hormones) इथाइलिन (Ethylene)
यह एकमात्र ऐसा हॉर्मोन है जो प्राकृतिक रूप में गैसीय अवस्था में होता है तथा वृद्धिरोधक का कार्य करता है । इसका मुख्य कार्य फलों को पकाने का होता है।फलों के पकते समय इसकी सांद्रता बढ़ जाती है।
पादप हॉर्मोन (Plant Hormones) -ट्राउमैटिन (Traumatin)
यह एक प्रकार का डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल है । इसका निर्माण घायल कोशिका में होता है, जिससे पौधे के जख्म भर जाते हैं